राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत वितरित की जा रही पट्टा को स्थाई व निशुल्क देने की मांग को लेकर एसडीएम डौंडीलोहारा को ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन में बताया गया कि नगरपालिका दल्लीराजहरा के अंतर्गत नगरवासियों को राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत अस्थायी पट्टा वितरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। जिसमें अधिकतम क्षेत्रफल 800 वर्ग फुट तक निर्धारित की गई है एवं अतिरिक्त मकान पर जो वर्षों से काबिज है।
उसे तोड़ने निर्देशित किया गया है। प्रति वर्ग फुट सालाना 10 के हिसाब से 10 वर्ष तक विकास शुल्क की राशि की शर्त पर 30 वर्ष तक के लिए लीज का पट्टा अस्थाई रूप से दिया जा रहा है। दल्ली राजहरा एक औद्योगिक नगरी है। 1950 के दशक में भिलाई इस्पात संयंत्र को इस क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ जमीन लीज पर प्रदान की गई थी। उक्त जमीन पर खदान के कर्मचारियों के लिए मकान, व्यवसाय तथा संयंत्र कार्य से संबंधित लोगों ने अपना मकान झोपड़ी बनाकर निवास कर रहे हैं।
वर्ष 2000 में नगर पालिका परिषद के प्रभाव में आने के बाद समेकित कर व संपत्ति कर लगातार वसूल की जा रही है। अलग-अलग समय में चुनावी घोषणा पत्रों के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा जमीन का मालिकाना हक देने प्रचार प्रसार करते हैं। इसी क्रम में अजीत जोगी के मुख्यमंत्री के शासनकाल में नगर में कुछ लोगों को निशुल्क पट्टा दिया गया था। लोगों को भी उम्मीद थी कि वर्तमान समय में निशुल्क वितरण किया जाएगा परंतु शर्त एवं शुल्क के साथ कुछ लोगों को पट्टा वितरण किया गया।
जिससे वार्ड वासियों को ज्ञात हुआ कि पूर्व की तरह वर्तमान में निशुल्क पट्टा वितरण नहीं किया जा रहा है, जिससे लोगों में आक्रोश है। भिलाई इस्पात संयंत्र से राज्य शासन को आयरन ओर उत्पादन कर तथा जिला खनिज विभाग को राजस्व के रूप में बड़ी राशि प्रदान करती है । इसलिए नगर के निवासियों के लिए प्रदेश के अन्य इलाकों से अलग हटकर नीति बनाने की आवश्यकता है। जिससे लगातार घट रही दल्ली की आबादी को स्थिर किया जा सके। ज्ञापन साैंपने के दाैरान राजू अवस्थी, सातोबाई विश्वकर्मा, जागेश्वर यादव, गीता नेताम, इमिन बाई, उर्मिला बाई यादव, पुष्पा यादव, लता बाई माैजूद थीं।
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