
सर्व आदिवासी समाज के नेताओं ने बुधवार को जिले में बाढ़ के हालात का जायजा लिया और बाढ़ पीड़ितों का हालचाल जाना। पीडितों के लिए जिला प्रशासन को तीस हजार रुपए का चेक और राशन, कपड़ा भी दिए।
समाज के संरक्षक एवं पूर्व केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री अरविंद नेताम, बस्तर जिलाध्यक्ष कौशल नागवंशी, सचिव दशरथ कश्यप, अविभक्त मप्र में पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे राजाराम तोड़ेम एवं चित्रकोट के पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप ने लोगों से मिलकर समस्याएं जानीं। पत्रकार भवन में पत्रकारों से चर्चा करते आदिवासी नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के बंटवारे को लेकर जो फैसला दिया है, वह हिन्दू लाॅ के हिसाब से है न ही आदिवासी कस्टमिरी लाॅ के हिसाब से। इस पर समाज विचार कर रहा है आदिवासी समाज में बेटी अपने ससुराल की संपत्ति की हकदार होती है।
समाज 8-10 साल से विपदाग्रस्त इलाके में अपनी ओर से राहत देता आ रहा है और बीजापुर आने का कारण भी यही है। यहां बारिश ने काफी तबाही मचाई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि प्रभावित लोगों को पूरी तरह सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। खुद को भी जागरूक होना होगा। उन्होेंने कहा कि वे बाढ़ के प्रभाव के बारे में फीडबैक भी ले रहे हैं, ताकि इस बात को वे राज्य और केंद्र सरकार तक समस्याओं को पहुंचा सकें। आदिवासी नेताओं ने कहा कि बस्तर जिले के आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण न हो इस पर काम करना है, इस बात पर विचार किया जा रहा है।
डुबान में आने वाले गांव के लोगों काे बेहतर पुनर्वास दें
बोधघाट विद्युत परियोजना पर आदिवासी नेताओं ने कहा कि डुबान में आने वाले गांव के लोगों को बेहतर पुनर्वास दिया जाए। उन्होंने बस्तर में प्राथमिक शिक्षा के लिए स्थानीय बोली या भाषा को माध्यम बनाने की बात कही। बस्तर के स्वायत्तशासी राज्य के सवाल पर अरविंद नेताम ने कहा कि ये आजादी के वक्त होना था। अब यह थोड़ा मुश्किल है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सारकेगुड़ा की रिपोर्ट पर भी नजर बनी हुई है। सारकेगुड़ा के मामले में आयोग की रिपोर्ट आए काफी समय हो गया है, लेकिन सरकार मौन है।
निर्दोषों की रिहाई के लिए बना रहे हैं दबाव: नेताम
जेल में बन्द निर्दोष आदिवासी कब रिहा होंगे के सवाल पर आदिवासी नेताओं ने कहा कि नक्सलियों के नाम पर जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई को लेकर मौजूदा कांग्रेस सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था। इसके लिए सर्व आदिवासी समाज के दबाव में सरकार ने एक आयोग का गठन भी किया। इसमें देर नहीं होनी चाहिए। मामले में समाज दबाव बना रहा है और मुख्यमंत्री व गृहमंत्री के अलावा डीजीपी से चर्चा हो रही है, लेकिन बेहतर होता कि विधायक एवं सांसद भी इसमें दिलचस्पी लेते। मंत्री मंडल में भी चर्चा होनी चाहिए।
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