सीआरपीएफ 227वीं वाहिनी द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए वाहिनी स्तर पर एक अगस्त से एक सितंबर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें जवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिताओं के अंत में विजेताओं को नगद पुरस्कार देकर पुरस्कृत भी किया गया।
हिंदी दिवस पर 14 सितंबर को कमांडेंट मनोज कुमार गौतम ने राजभाषा संदेश को पढ़कर सुनाया। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व में तेजी से बदलते आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश में आज हिंदी की स्थिति काफी बेहतर है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है।
कमांडेंट ने कहा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विश्व के अनेक देशों में विश्वविद्यालय स्तर पर हिंदी पढ़ाई जा रही है और विश्वपटल पर वैश्विक भाषा के रूप में तेजी से उभर रही है। यदि हम सबमें दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो हिंदी के विकास को कोई नहीं रोक सकता। कमांडेंट ने कहा सुरक्षा बल के सभी अधिकारियों, जवानों से यह अपेक्षा किया कि वे अपने व्यक्तिगत जीवन में चाहे किसी भी भाषा को अपनाएं, लेकिन सरकारी कामकाज केवल हिंदी में ही करें तथा सभी मिलकर सरकार की राजभाषा नीति की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सतत प्रयास करें और हिंदी के प्रचार - प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
अन्य भाषाओं से हिंदी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही
कमांडेंट मनोज ने कहा भारत 122 भाषा और 1600 बोलियों वाला एक विशालतम देश है। संविधान की 8वीं अनुसूची में संस्कृत के अतिरिक्त 21 भारतीय भाषाएं शामिल हैं और उन भाषाओं को अनुसूचित भाषाओं का दर्जा प्राप्त है। हिंदी इस सभी भाषाओं में प्रमुख भाषा है। भारत में हिंदी ही वह भाषा है, जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक और राजस्थान से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक समान रूप से बोली व समझी जाती है। हिंदी अब बोलचाल और साहित्य की भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि जनसंचार के विविध माध्यमों में इसका प्रयोग बहुतायत से बढ़ गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में विश्व की अन्य भाषाओं के साथ हिंदी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।
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