लोक निर्माण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के तहत 23 सीसी रोड निर्माण की निविदा 26 अगस्त को आमंत्रित की गई थी। जिसमें निविदा लेने के लिए 10 सितंबर और जमा करने के लिए 16 सितंबर की तारीख निर्धारित की गई। इसके लिए 71 ठेकेदारों ने 890 फॉर्म खरीदे, लेकिन सत्ताधारी दल के बड़े जनप्रतिनिधियों ने विधायक के नाम पर काम करने के लिए ठेकेदारों पर दबाव बनाकर गत दो दिनों में एक राय बनाने की कोशिश की। इसमें कामयाबी नहीं मिलने पर सत्ता का हनक दिखाते हुए कार्यपालन अभियंता को ठेकेदारों को फॉर्म नहीं देने के लिए बाध्य कर दिया। ठेकेदारों ने इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से करने की चेतावनी दी है।
ठेकेदारों ने बताया कि लोकनिर्माण विभाग ने 3 करोड़ रुपए की लागत के कार्यों की निविदा जारी की थी। इसके लिए बड़ी संख्या में ठेकेदारों के आने के बाद आपस की सांठगांठ का फार्मूला फेल हो गया। इसके बाद कुछ ठेकेदार जो सत्ता की धमकी देकर काम लेने की फिराक मे रहते हैं, उन्होंने जिला पंचायत के एक बड़े जनप्रतिनिधि और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से काम दिलाने के लिए मदद मांगी। इसके बाद ठेकेदारों की एक बैठक स्थानीय विश्रामगृह में हुई। इसमें सबसे पहले जिले के बाहर के ठेकेदारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद स्थानीय ठेकेदारों के बीच काम को लेकर सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया गया। इस दौरान उनकी एक शर्त से ठेकेदार बिफर गए। इसमें 8 बड़े काम जिले के दोनों विधायकों के नाम पर छोड़ने के लिए कहा गया। बाकी 15 कार्यों को लेकर लाटरी पद्धति से कार्य विभाजन की बात कही गई, लेकिन इस प्रक्रिया से बड़ी संख्या में ठेकेदार नाखुश रहे। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विधायक अब ठेकेदारी भी करेंगे तो ठेकेदार क्या करेंगे। लेकिन जिला पंचायत के बड़े जनप्रतिनिधि सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने सभी ठेकेदारों को एक स्वर में कह दिया कि जो यह फैसला हो रहा है, सभी को मान्य होगा।
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