गढ़वा जिला के आधे प्रखंडों में वर्षा मापक यंत्र अधिष्ठापित नही है। ऐसे में वर्षापात रिकॉर्ड करने में विभाग के लोगों को परेशानी होती है। जिले के नए प्रखंड डंडा, सगमा, बरगढ़, बरडीहा बिशुनपुरा व केतार प्रखंड को बने करीब 15 साल होने को है। लेकिन यहां वर्षा मापक यंत्र अभी तक अधिष्ठापन नहीं किया जा सका है। जबकि जिले के पुराने प्रखंड मेराल, खरौंधी, चिनिया, कांडी व डंडई में वर्षा मापक यंत्र कई वर्षों से क्षतिग्रस्त हो गया है। खरौंधी प्रखंड में लगाया गया वर्षा मापक यंत्र का मेजरिंग ग्लास टूट गया था। जिसके कारण 23 सितंबर तक उक्त वर्षा मापक यंत्र का उपयोग नही किया जा रहा था। जिला कृषि पदाधिकारी लक्ष्मण उरांव के अनुसार 24 सितंबर को कृषि विभाग के द्वारा खरौंधी प्रखंड कार्यालय परिसर में आटोमैटिक वर्षा मापक यंत्र लगाया गया है।
इस वर्षा मापक यंत्र से 24 घंटे के अंदर कितना बारिश हुआ। उसका ऑन रिकॉर्ड पेनड्राइव के माध्यम से अर्जित किया जा सकता है। इसके अलावे जिले के गढ़वा, भवनाथपुर, नगर उंटारी, धुरकी, रमना, भंडरिया, रमकंडा व रंका प्रखंड में ही वर्षा मापक यंत्र सही तरीके से काम कर रहा है। इस वजह से जिला कृषि विभाग को जिले में हुई वर्षापात का सही सही आंकड़ा एकत्र करने में काफी परेशानी हो रही है। वर्षा मापक यंत्र अधिष्ठापन का कार्य सांख्यिकी विभाग का है। लेकिन इसे एकत्र जिला कृषि कार्यालय करती है। साथ ही नए प्रखंड में 15 साल बाद भी इसे अधिष्ठापन नहीं किया जा सका। उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले के सभी प्रखंडों में वर्षा कितनी हुई। इसका सही - सही आंकड़ा लिया जाता है। इस आंकड़े के आधार पर जिले में खरीफ व रबी फसलों का आच्छादन व लक्ष्य तय किया जाता है। साथ ही जिले में सूखा, बाढ़ व अकाल या वास्तविक आच्छादन तय होती है। अभी विभाग के मात्र दस प्रखंडों के आंकड़ों के आधार पर ही यह पूरे जिले के लिए तय कर रही है। इससे शेष प्रखंडों के खेती व सूखे आदि की वास्तविक तस्वीर सरकार व विभाग को नहीं मिल रही है।
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी लक्ष्मण उरांव ने कहा कि पिछले 24 सितंबर को खरौंधी प्रखंड में आटोमैटिक वर्षा मापक यंत्र लगाया गया है। वहीं गढ़वा व मझिआंव में भी आटोमैटिक वर्षा मापक यंत्र लगाया जा रहा है। इसके अलावे शेष प्रखंडों के वर्षा मापक यंत्र की समस्या को लेकर उपायुक्त, अर्थ व सांख्यिकी निदेशालय झारखंड के निदेशक को पत्र लिखा गया है। उन्होंने कहा कि सभी प्रखंडों में वर्षा मापक यंत्र नही रहने की वजह से वर्षापात रिकॉर्ड करने में परेशानी होती है।
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