संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल शुक्रवार को सातवें दिन भी जारी रहा। सातवें दिन अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संघ राज्य मेडिकल सेल ने एनएचएम कर्मचारियों पर हो रही कार्रवाई पर रोक लगाने और जायज मांग का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि वर्तमान में कोरोना जांच, रिपोर्टिंग व सैंपल आदि कार्य के लिए अन्य विभागों से समन्वय कर कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था की जा चुकी है। तथा स्वास्थ्य विभाग के समस्त कार्य पूर्व की भांति ही संचालित हो रहे। पर दूसरी तरफ कोरोना जांच, रिपोर्टिंग व सैम्पल कार्य में कमी भी साफ देखी जा रही है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जिले के समस्त एनएचएम कर्मचारियों के हड़ताल में जाने से समस्त प्रकार की स्वास्थ्य सुविधायें न सिर्फ बाधित हुई है वरन पूर्ण रूप से चरमरा भी गई है। जो जिला प्रशासन के साथ-साथ यहां की जनता के लिए भी घातक है। क्योंकि ऐसे में कोरोना की वास्तविक स्थिति का ज्ञान जिला प्रशासन को नही हो पाएगा तथा कोरोना जांच के अभाव में कोरोना वायरस से ग्रसित व्यक्ति के द्वारा अनजाने में ही संक्रमण कई लोगों तक पहुंच जाएगा। जिससे दिनों-दिन मरीजों की संख्या में न सिर्फ इजाफा होगा बल्कि जिलें की स्वास्थ्य सुविधाओं पर बुरा असर पड़ेगा। ऐसे समय में जब अनुभवी और पारंगत स्वास्थ्य कर्मचारियों की जरूरत है तब जिला प्रशासन का अन्य विभाग से अनुभव विहीन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने से स्थिति से कैसे संभलेगी यह सोचने वाली बात है।
सरकार जनता की जान भी जोखिम में डाल रही
एनएचएम संघ का कहना है कि जिले में पिछले सात दिवस से आंदोलनरत एनएचएम कर्मचारियों की मांग को सरकार अनदेखा कर जनता की जान को जोखिम में डाल रही है। ऐसी ही स्थिति और शासन की विफलता के कारण आज कोरोना के आंकड़ों में छत्तीसगढ़ ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। दिन-ब-दिन कोरोना के ग्राफ का बढ़ना एनएचएम की आवश्यकता को साबित करता है। और इस बात का समर्थन न सिर्फ सत्ता पक्ष के विधायक व मंत्री के साथ विपक्ष के विधायक व मंत्री के साथ साथ समस्त कर्मचारी संगठन और जिलें की जनता भी कर रही है।
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