जेल में बंद कैदी अब जीवन जीने की कला सीखेंगे। उन्हें यह बताया जाएगा कि स्वस्थ रहने के साथ-साथ वह अपने व्यवहार में किस तरह बदलाव लाएं ताकि समाज के हित में काम कर सकें। इसके लिए आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के साथ कारा विभाग ने 3 साल का करार किया है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ऑनलाइन चलेगा। जेलों में शुरू होने वाले इस प्रशिक्षण के लिए आर्ट आफ लिविंग की ओर से कार्यक्रम तैयार किए गए हैं।
हर बैच का प्रशिक्षण कार्यक्रम आठ दिनों का होगा। इसमें इच्छुक कैदी शामिल हो सकेंगे। हर दिन यह कार्यक्रम सुबह दो घंटे चलेगा। इसके लिए प्रशिक्षकों का दल तैयार कर लिया गया है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आर्ट आफ लिविंग की ओर से नि:शुल्क चलाया जाएगा।
कैदियों को सुदर्शन क्रिया, योग, ध्यान आदि का मिलेगा प्रशिक्षण
मकसद... कैदी फिर अपराध न करें
रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के करीब 3300 समेत राज्य के सभी जेलों में 18227 से ज्यादा कैदी बंद हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से उनमें सुधार लाना भी मकसद है। कई कैदी जेल से बाहर निकलने के बाद फिर से अपराध करने लगते हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से उनके विचारों में बदलाव लाया जाएगा। इन्हें सुदर्शन क्रिया, योग और जीवन जीने की कला का प्रशिक्षण प्रशिक्षित मेंटर देंगे।
रिहैबिलिटेशन की भी हो रही व्यवस्था
झारखंड आर्ट ऑफ लिविंग के स्टेट को-आर्डिनेटर पीएन सिंह ने बताया कि सभी जेलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए तीन साल के लिए कारा विभाग के साथ करार हुआ है। इसके अलावा वैसे कैदी जिन्हें पूर्व में आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की ओर से प्रशिक्षण दिया गया है और अब वे जेल से बाहर आ गए हैं, उनके रिहैबिलिटेशन की भी व्यवस्था संस्था की ओर से कराई जा रही है।
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