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Thursday, October 1, 2020

103 करोड़ खर्च, फिर भी 12 साल में खेतों तक नहीं पहुंचा एक बूंद पानी, बांध के गेट टूटे, नहरें भी बह गईं

लव दुबे/कुंदन गुप्ता । भ्रष्टाचार का हाल देखना हो तो बलरामपुर जिले के कोटपाली गांव में एक बार जरूर आइए। यहां सिंचाई की खुटपाली योजना पर विभाग के अफसरों ने 103 करोड़ फूंक दिए फिर भी एक भी किसान को पानी नहीं मिला। नहर कहीं बह गई तो कई जगह से टूटी हुई है। वहीं व्यपर्वतन के गेट टूट चुके हैं, जिससे पानी नहीं रुक रहा है। रावनदरा और बालापानी दो पहाड़ों के बीच व्यपर्वतन बना है।
इंजीनियरों ने कहा कि गेट ठीक करा दें तो पानी के दबाव में व्यपर्वतन बह जाएगा, क्योंकि वीयर में दरारें आ गई हैं। अधिकारी खुद को बचाने गेट ठीक नहीं करा रहे हैं। हद तो यह है कि योजना को देख रहे अधिकारी जिनके खिलाफ इसी काम में गड़बड़ी की विभागीय जांच चल रही है, वही अब खेतों तक पानी पहुंचाने 70 करोड़ और मांग रहे हैं। इसके लिए रिवाइज स्टीमेट भेज चुके हैं और अफसर रायपुर तक मंजूरी के लिए दौड़ लगाए हैं। खुटपाली में कन्हर नदी पर व्यपवर्तन बनाकर नहर के जरिए 30 गांवों में पानी देना था, लेकिन 12 साल बाद भी योजना अधूरी है। ग्रामीणों ने बताया पहाड़ का पत्थर चोरी कर नहर बनाई थी। निर्माण के बाद नहर पहले साल ही बह गई। जांच के लिए रायपुर तक से टीम आई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई और न ही नहर और गेट ठीक हुए।

ये उठ रहे सवाल
1. नहरों की लंबाई बड़ी और ना कोई नई नहर प्रस्तावित हुई फिर भी सिंचाई क्षेत्र अपने आप कैसे बढ़ गया। नहरों की लंबाई-चौड़ाई-ऊंचाई और संख्या में में कोई बदलाव नहीं, फिर कार्य की मात्रा में वृद्धि किस आधार पर हो रही।
2. आदिवासियों के नाम पर योजनाओं की स्वीकृति तक सीमित है। उसका लाभ जनजातियों को नहीं मिलता। इस योजना से 67% आबादी अनुसूचित जनजाति 5% अनुसूचित जाति के लोगों को लाभ मिलना था।
3. खुटपाली परियोजना में जुलाई 2020 तक 103 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जो स्वीकृत राशि 86 करोड़ के विरूद्ध 103 करोड़ का खर्च भी है, स्वयं में जांच का मुद्दा है। परियोजनाओं में वित्तीय नियंत्रण की जवाबदारी मुख्य अभियंता की होती है।
4.योजना के तहत 0 मीटर से 450 मीटर की नहर बह गई। विभाग ने 14:30 लाख की छति बताया। वहीं जब सुधार कार्य का प्रस्ताव कलेक्टर बलरामपुर को भेजा तो उसकी लागत 1 करोड़ 27 लाख बताई गई। जहां नहर बह गई है, वहां ठीक कराने की बजाय उससे आगे की नहरों का निर्माण करने से क्या फायदा होगा, जब पानी ही नहीं आएगा।

ये है योजना: खुटपाली योजना में कन्हर नदी पर व्यपवर्तन बनाकर इलाके में सिंचाई के लिए पानी देना था। काेटपाली से महराजगंज, झलपी तक 72 किलोमीटर नहर बननी थी, लेकिन हालत यह है कि कहीं नहर नहीं बनी तो दूसरी ओर जहां बनी वहां बह गई। जानकारों का कहना है कि योजना की ड्राइंग डिजाइन ही गलत है।

इधर गड़बड़ी उधर फंड जारी करते रहे अफसर
पड़ताल में खुलासा हुआ कि नहर बहने के बाद जांच शुरू हुई। अधिकारियों को आरोपित किया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। वहीं अफसर फंड जारी करते रहे अौर योजना पूरी करने के नाम पर सरकारी राशि का बंदरबांट होता रहा। दूरस्थ क्षेत्र में यह योजना होने से प्रशासनिक अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

फंड के लिए सिंचाई का कागजों में बढ़ रहा रकबा
इस योजना में पहले 3052 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी मिलना था, लेकिन फंड के लिए अब रकबा बढ़ाया जा रहा है, जो रिवाइज स्टीमेट भेजा गया है, उसमें सिंचाई का कुल रकबा 4,340 हेक्टेयर कर दिया है। इसमें बताया है कि खरीफ के लिए 1975, रबी के लिए 1875, जबकि ग्रीष्म के लिए 490 हेक्टेयर में पानी मिलेगा।

विपक्ष में रहते हुए विरोध अब सत्ता में आते ही चुप
राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने खुटपाली में गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत की है। योजना की जब मंजूरी मिली थी तब नेताम ही मंत्री थे और वर्तमान विधायक बृहस्पति सिंह इसी तरह शिकायत कर रहे थे। अब बृहस्पति सत्ता में हैं, लेकिन इतनी बड़ी गड़बड़ी पर भी चुप हैं।

एक्सपर्ट: इंजीनियरिंग सही नहीं, इसलिए परेशानी
इंजीनियर सही तरीके से इंजीनियरिंग नहीं कर रहे हैं। सर्वे, ड्राइंग डिजाइन ठीक होता और उसके अनुसार काम हुआ हो तो खुंटपाली की यह स्थिति नहीं होती। सही तरीके से प्लान बने और उसके अनुसार काम हो तो रिवाइज स्टीमेट की नौबत नहीं आती। यह सब खेल है और एडजस्टमेंट के लिए इस तरह होता है। -मुकेश शुक्ला, सिविल इंजीनियर

भ्रष्टाचार का अड्‌डा बन गई है खुटपाली योजना
पूरी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। पिछली सरकार से अब तक अनगिनत बार शिकायत कर चुका हूं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही। इसकी जिम्मेदारी के सवाल पर कहा सिंचाई विभाग में माफिया हावी हैं। इसलिए कार्रवाई नहीं हो रही है। अधिकारी व नेता योजना को लूटने में लगे हैं।
रामविचार नेताम, राज्यसभा सांसद

गलतियां छिपाने नेताम कर रहे शिकायत: सिंह
राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम अपनी गलतियों को छिपाने शिकायत कर रहे हैं, जबकि योजना का भूमिपूजन उन्होंने ही किया था। मैं मामले में पिछली सरकार से लेकर अब तक विधानसभा में मामला उठा रहा हूं। मामले में मंत्री, नेता, अधिकारी व इंजीनियर जो भी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
बृहस्पति सिंह, बलरामपुर विधायक

गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई करेंगे: कलेक्टर धावड़े
बलरामपुर कलेक्टर श्याम धावड़े ने कहा कि भास्कर से ही मुझे खुटपाली सिंचाई योजना के बारे में जानकारी मिल रही है। कल ही पता कराते हैं कि योजना की क्या स्थिति है। गड़बड़ी मिली तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।

2 दिन में जाकर देखता हूं दोषी नहीं बख्शे जाएंगे: एसई
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता राजीव वर्मा ने बताया 1-2 दिन में खुटपाली जाऊंगा। गड़बड़ी करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। ईई सहित जिन इंजीनियरों को आरोपित किया है, उन्हें नोटिस जारी किया जा चुका है। भुगतान भी रोक दिया।

जांच टीम ने इन्हें माना था दोषी, नहीं हुई कार्रवाई
नहर क्षतिग्रस्त होने के लिए ईई यूएस राम, एसडीओ एसके दुबे, उप अभियंता जेके साहू, आरसी जैन, इसी तरह नहर निर्माण अधूरा रहने एनसी सिंह, एसडीओ विनोद भगत और उप अभियंता राजेंद्र भगत को जिम्मेदार बताया है।

नहर टूट गई, इसलिए नहीं मिल रहा पानी, ईई
जल संसाधन संभाग क्रमांक 2 के ईई यूएस राम ने कहा कि खुटपाली की नहर अतिवृष्टि में टूट गई, इसीलिए पानी नहीं मिल रहा है। इसे ठीक कराने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बाद 11 किमी तक पानी मिलने लगा।



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103 crore spent, yet in 12 years the fields did not reach a drop of water, dam gates were broken, canals were also washed away


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