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Monday, October 26, 2020

30 तक सरेंडर का समय, फिर घर वापस आइए या जेल जाइए मुहिम

दंतेवाड़ा पुलिस का नक्सलियों के लिए शुरू किया गया लोन वर्राटू यानी घर वापस आइए अभियान का 4 महीना पूरा हो गया है। इस अभियान का दूसरा भाग “लोन वर्राटू इलेल जेल दातिर’ यानी घर वापस आइए या जेल जाइये अभियान दंतेवाड़ा पुलिस शुरू करने जा रही है। इस अभियान में पुलिस आक्रामक मोड में नजर आएगी। अब तक सबसे ज्यादा फोकस्ड सरेंडर का था, लेकिन अब गिरफ्तारियां भी होंगी। पुलिस की सूची में जिन नक्सलियों के नाम हैं उन्हें 30 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है कि वे सरेंडर कर लें। इसके बाद पकड़े जाने पर गंभीर अपराधों में लिप्त पाए गए तो सीधे जेल होगी।
एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि लोन वर्राटू अभियान में सरेंडर कराया जा रहा है। जिनके नाम सूची में हैं और वे किसी बड़े अपराध में लिप्त नहीं हैं। तो वे सबूतों के आधार पर अपना नाम कटवा सकते हैं। जो अपराधों में लिप्त हैं, इनामी हैं, वे भी सरेंडर कर सकते हैं। 30 तारीख के बाद इस अभियान का दूसरा चरण घर वापस आओ या जेल जाओ अभियान शुरू होगा इसलिए नक्सलियों से अपील है कि वे समय रहते आकर सरेंडर कर लें और खुशहाल जीवन जिएं। पुलिस ने करीब 1500 नक्सलियों की सूची जारी की थी।

नक्सलियों की गिरफ्तारियां कम, सरेंडर सबसे ज्यादा हुआ
लोन वर्राटू अभियान शुरू होने के बाद 4 महीने के अंदर नक्सलियों की गिरफ्तारियां बेहद कम हुई हैं, जबकि सरेंडर ज्यादा कराए गए हैं। 4 महीने में अब तक 150 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, जबकि 5 नक्सलियों की ही गिरफ्तारी हुई है। सरेंडर करने वालों में 41 नक्सली इनामी हैं।

बारसूर को 5 जिले के बॉर्डर का बनाया मुख्य प्वाइंट, यहीं कर सकते हैं सरेंडर
बारसूर को 5 जिले दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर, बस्तर व कोंडागांव के बॉर्डर पर बसे गांवों का मुख्य प्वाइंट बनाया गया है। इस इलाके के गांव में रहने वाले नक्सली बारसूर में आकर सरेंडर कर सकते हैं। अफसरों का कहना है कि जिला मुख्यालयों की दूरी अधिक होने के कारण कई नक्सली सरेंडर के लिए नहीं जा पाते हैं। ऐसे में इलाके के नक्सली बारसूर थाना में आकर सरेंडर कर सकते हैं। रविवार को 32 नक्सलियों ने बारसूर आकर ही सरेंडर किया है।

सरेंडर नक्सली कोई मजदूरी कर रहा तो कोई समूह बनाकर काम
इस अभियान के शुरू होने के बाद कई नक्सलियों ने स्वतः ही पुलिस के सामने आकर हथियार डाला। किसी के परिजन तो कोई ग्रामीणों के साथ आकर सरेंडर किया, लेकिन इसमें ऐसे लोग भी हैं जो गश्त या ऑपरेशन के वक्त पकड़े गए थे, उनकी गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने सरेंडर का मौका दिया और सरेंडर कराया। कइयों को कलेक्टर दीपक सोनी ने मनचाहा रोजगार भी दिया। कोई मजदूरी कर रहा है तो कोई समूह बनाकर काम कर रहा है।



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Surrender time till 30, then come back home or go to jail


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