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Friday, October 2, 2020

सोने की खोज, नदी का जलस्तर घटते ही सुवर्णरेखा में सोने के कणों की तलाश में जुटीं ग्रामीण महिलाएं

सुवर्णरेखा नदी में ये महिलाएं मछली नहीं रेत में सोना ढूंढ़ रही हैं। जमशेदपुर के लुपुंगडीह से होकर गुजरने वाली सुवर्णरेखा नदी के किनारे का यह दृश्य शुक्रवार सुबह 9 बजे का है। ये महिलाएं धनचढ़ानी से मुसरी कुदर व अन्य गांवाें की हैं। सभी सुबह 8 से शाम 5 बजे तक बालू के कणों काे इस आस में धाेती हैं कि साेना मिल जाए। महिलाएं नाम तो नहीं बतातीं लेकिन उन्हें फोटो खिंचाने से परहेज नहीं। महिला के मुताबिक वह सुबह खाना बनाने के बाद सोना चुनने आती है।

कभी 3-4 घंटे तलाशने के बाद सोने का कण मिल जाता है व कभी 4 से 5 दिन बाद भी नहीं मिलता। सोने के ये कण चावल के बराबर या इससे भी छाेटे होते हैं। स्थानीय सुनार 150-200 रुपए प्रति कण के हिसाब से खरीदते हैं। इस तरह महीने में औसतन 5000-6000 रुपये कमाई हो जाती है।

बरसात के बाद साेना मिलने की ज्यादा हाेती है संभावना

बरसात में यह काम रुक जाता है। लेकिन यह फायदेमंद है क्याेंकि पानी का बहाव अपने साथ पहाड़ाें व नदी-नालाें से हाेकर आता है, वह सोने के कणोंं काे साथ लाता है। जब पानी कम होता है ताे साेने के कण किनारे रह जाते हैं।

भूगर्भशास्त्री...सूक्ष्म कणों की रिसाइक्लिंग का खर्च अधिक

भूगर्भशास्त्री नंदिता नाग ने कहा- सुवर्णरेखा-खरकई में सोने के सूक्ष्म कण मिलते हैं। इसलिए नदी का नाम सुवर्णरेखा पड़ा। कण इतने सूक्ष्म हैं कि रिसाइक्लिंग करने पर जितना साेना मिलेगा, उससे अधिक खर्च अाएगा।

साेने की रिसाइक्लिंग की यह है देसी प्रक्रिया

1 नदी के ठीक किनारे हल्का गड्ढा खाेदकर उसमें से पानी निकाल दिया जाता है।
2 इसके बाद उस गड्‌ढे में से बालू काे निकाला जाता है।
3 फिर उस बालू कोे पानी से धाेया जाता है, जिससे मिट्टी और बालू बह जाते हैं और बड़े कंकड़ाें के बीच में साेने का कण रह जाता है।



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In search of gold, rural women started searching for gold particles in Subarnarekha as the river's water level decreases


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