गांवों की तरह शहरों में भी गोबर खरीदी कार्य चल रहा है। कांकेर शहर में गोठान नहीं होने से गोबर खरीदी कार्य कचरा संग्रहण केंद्र में किया जा रहा है। कचरा संग्रहण केंद्रों में गोबर खरीदी का कोई बोर्ड तक नहीं लगा है। गोबर खरीदी की जानकारी नहीं होने से शहर में केवल 37 पशु पालक गोबर बेचने पहुंच रहे हैं जबकि शहर में पशु पालकों की संख्या 200 है। अभी तक शहर में केवल 1365 क्विंटल गोबर खरीदी कार्य ही हो पाया है।
गोधन न्याय योजना के तहत ग्राम पंचायतों की तरह शहरों में भी गोबर खरीदी 2 रूपए प्रति किलो की दर से होनी है। 20 जुलाई से योजना शुरू हुई तथा गोबर खरीदी कार्य शहर में दो स्थानों अलबेलापारा तथा शीतलापारा में कचरा संग्रहण केंद्र को गोबर खरीदी केंद्र बनाया गया है। प्रचार प्रसार नहीं होने तथा गोबर खरीदी केंद्र की जानकारी नहीं होने से शहर के लगभग सभी पशु पालक गोबर नहीं बेच पा रहे हैं। पशु पालक अमिताभ तिवारी ने कहा उनके पास 25 मवेशी हैं और रोजाना 2 क्विंटल गोबर निकलता है। शहर वालों को पता नहीं है कि गोबर बिक्री कहां पर करना है। इस संंबध में प्रचार प्रसार ही नहीं किया गया है। श्रीरामनगर के पशुपालक तुलसी साहू ने कहा उनके 22 मवेशियों से रोज एक क्विंटल गोबर होता है। 1 क्विंटल गोबर को ले जाने वाहन की दिक्कत होने से अभी तक एक बार भी गोबर नहीं बेच पाए हंै। सुभाषवार्ड के दीपक खटवानी ने कहा उनके यहां 4 क्विंटल गोबर निकलता है लेकिन केंद्र तक इसे ले जाने में परेशानी है।
रोका छेका अभियान भी असफल : शहर में गोधन न्याय योजना के साथ रोका छेका अभियान भी असफल हो गया है। यह अभियान जून माह में शुरू हुआ था लेकिन अभी भी मवेशी सड़क पर ही नजर आते हैं। मवेशियों के सड़क पर जमघट लगाने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। शहर के कांजी हाउस खाली हैं।
पशुपालकों के घर तक वाहन जाने प्रावधान नहीं
कांकेर शहर के गोधन न्याय योजना समन्वयक शाश्वत यदु ने कहा कि शहर में गोबर खरीदने दो कलेक्शन सेंटर बनाए गए हैं। गोबर खरीदी जुलाई माह से की जा रही है। योजना के तहत पशुपालकों को गोबर केंद्र तक पहुंचा कर देने का प्रावधान है। प्रचार प्रसार किया गया है। फिर से पशुपालकों को कलेक्शन सेंटर की जानकारी दी जाएगी।
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