कांग्रेस पार्टी को प्रदेश की सत्ता में आए दो साल बीत रहे हैं। बस्तर के जेलों में फर्जी नक्सली प्रकरणों में बंदी निर्दोष आदिवासियों की रिहाई को लेकर अब तक कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के इशारे पर पुलिस नक्सल प्रकरणों में जेल में बंद आदिवासियों की लिस्ट तैयार कर उनके परिजन व वकीलों के माध्यम से कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल करवा रही है। अब तक कोर्ट में लगाए गए सभी जमानत अर्जी खारिज हुए हैं। इससे बंदियों की मुसीबत और बढ़ रह रही है। आने वाले समय में उन्हें जमानत मिलने के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया में बंदी के परिजनों को यहां-वहां बेवजह भटकना पड़ रहा। नतीजा सिफर आने से वे मायुश हो रहे हैं। कमेटी का गठन करने और जमानत अर्जी दाखिल कराने की नौटंकी करने की बजाय प्रदेश सरकार को फर्जी नक्सली प्रकरणों में जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई को लेकर अध्यादेश पारित करने की जरुरत है। उक्त बातें आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने बुुधवार को जिला मुख्यालय में तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आयोजित धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एके पटनायक की अध्यक्षता में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने अब तक इस पर कोई अंतिम निर्णय लेकर प्रदेश सरकार को रिपोर्ट नहीं सौंपी है। जिम्मेदार मंत्री सिर्फ आबकारी और वन अपराध से जुड़े मामले में जेल में बंंद आदिवासियों की रिहाई की बात कहते रहे हैं। भाकपा के जिला सचिव रामासोढ़ी ने कहा कि सरकार आदिवासियों को लेकर संवेदनशील नहीं है। पुलिस बंदियों के परिजनों को झूठा दिलासा देकर उन्हें गुमराह कर रही है। महासभा के प्रदेश सचिव गंगाराम नाग, पोड़ियाम भीमा, कुसुम नाग, अराधना मरकाम, हांदाराम कवासी समेत अन्य नेताओं ने भी धरना स्थल पर संबोधित किया।
ये मांगे हैं महासभा की
नक्सल प्रकरणों में जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के अलावा बस्तर में होने वाली सभी सरकार नियुक्तियों में स्थानीय शिक्षित युवा बेरोजगारों को प्राथमिकता दिए जाने और समर्थन मूल्य पर किसानों का पूरा धान खरीदने के साथ ही उन्हें राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि का एकमुश्त भुगतान करने की मांग अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने की है।
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