(अनिता गुप्ता) काेराेना संक्रमित मरीज हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, लंग्स और लीवर इंफेक्शन के बाद अब पैरालिसिस अटैक के भी शिकार हाेने लगे हैं। पहले ऐसे मामले मुंबई, दिल्ली, केरल सहित बड़े राज्याें में सामने आ रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में रांची में भी 5 ऐसे मरीज मिले हैं। फिलहाल एक कोरोना पीड़ित का इलाज रिम्स के काेविड आईसीयू वार्ड में चल रहा है। एक मरीज रिम्स से और 3 ऑर्किड हॉस्पिटल से निगेटिव रिपोर्ट के बाद डिस्चार्ज हाे चुके हैं। वे पैरालिसिस से भी रिकवर हाे रहे हैं।
जानिए- 3 मरीजों का निजी अस्पताल में हुआ इलाज
केस-1 : रिम्स में बुंडू के रहने वाले 35 वर्षीय व्यक्ति 12 नवंबर काे रिम्स पहुंचे। संक्रमित हाेने के दूसरे दिन से ही पहले उसके पैर के तलवे, घुटने, कमर के बाद उसके सीने में लकवा का अटैक हुआ। उसकी स्थिति गंभीर हाे गई थी। डाॅक्टराें के देखभाल से स्थिति में सुधार हो रहा है। फिलहाल कोविड आईसीयू में इलाजरत है।
केस-2 : 3 नवंबर काे 45 वर्षीय मरीज रामगढ़ से आए। काेराेना हाेने के 6 दिन बाद उनके दाेनाें पैर लकवाग्रस्त हाे गए थे। ऐसे में डाॅक्टराें ने काेविड के साथ पैरालिसिस की भी दवा चलाई। इलाज के 3 दिनाें के बाद से पैराें में हलचल हाेने लगी। अभी घर में इलाज चल रहा है।
केस-3 : 19 नवंबर काे रांची का 42 वर्षीय संक्रमित व्यक्ति रिम्स आया। न्यूराे पैरालिसिस के कारण उन्हें बोलने में परेशानी हो रही थी। एक हाथ लकवा ग्रस्त हाे गया है। उनकी रिपोर्ट निगेटिव हाे चुकी है। हाथ ठीक हाे चुका है, लेकिन अभी भी बाेलने में दिक्कत है।
एक्सपर्ट बोले-सही समय पर सही इलाज से मरीज ठीक हो रहे हैं
काेराेना के कारण न्यूराे पैरालाइसिस के रिम्स में 2 केस मिले हैं। एक मरीज ठीक हाे गया और दूसरा भी ठीक हाे रहा है। न्यूराे पैरालाइसिस जीबी सिंड्राेम के शरीर में फैलने के कारण हाेता है, जाे ब्रेन के सेल्स पर अटैक करता है। इसके बाद शरीर के हिस्से धीरे धीरे सुन्न हाे जाते हैं और पैरालिसिस हाे जाता है।
-डाॅ. कामेश्वर प्रसाद, रिम्स निदेशक
रिम्स में 7 दिसंबर से शुरू होगा पाेस्ट काेविड ओपीडी
काेविड से ठीक हाे चुके मरीजाें के नियमित इलाज के लिए रिम्स में 7 दिसंबर से पाेस्ट काेविड ओपीडी की शुरुआत हाेगी। इसकाे लेकर रिम्स निदेशक डाॅ कामेश्वर प्रसाद ने गुरुवार काे टास्क फाेर्स के साथ बैठक की। निर्णय हुआ कि ओपीडी ट्राॅमा सेंटर के सेंकड फ्लाेर पर खाेला जाएगा। ओपीडी में पीएसएम और मेडिसीन विभाग के डाॅक्टर बैठेंगे। वे पहले मरीजाें की स्क्रीनिंग करेंगे। इसके बाद उस विभाग के डाॅक्टर के पास भेजेंगे, जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
रिम्स में अभी तक करीब 2500 मरीज ठीक हाेकर घर लाैट चुके हैं। लेकिन इनमें करीब 40 प्रतिशत मरीजाें काे कमजाेरी, गले में दर्द, सूजन, सांस लेने में परेशानी, सांस फूलना, थकान, हार्ट और लीवर जैसी कई तरह परेशानियां हाे रही हैं। ऐसेसे में डाॅक्टर उनकी नियमित जांच करेंगे। 7 दिसंबर से रिम्स की ओर से ठीक हाे चुके मरीजाें काे फोन कर बुलाया जाएगा।
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