करीब दो हफ्ते से चल रही पटवारियों की हड़ताल से परेशान होने वाले लोगों की मुश्किलें अब मंगलवार से कम हो जाएंगी। सबसे ज्यादा परेशानी जाति, आय और मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने वालों को हो रही था। पटवारियों के हस्ताक्षर से जारी होने वाले सामान्य प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहे हैं। जमीन रिकार्ड के ऑनलाइन डिजिटल हस्ताक्षर करने से भी पटवारियों ने इंकार कर दिया था।
सोमवार को राज्यभर के पटवारी रायपुर में जुटे और हड़ताल स्थगित करने का फैसला किया है। संघ का कहना है कि मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री से मिले ठोस आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित कर दी है। रायपुर समेत राज्यभर के 5000 से ज्यादा पटवारी काम पर लौटेंगे।
पटवारियों की हड़ताल की वजह से जमीन के मामले भी बड़ी संख्या में पेंडिंग हो गए हैं। केवल रायपुर तहसील में ही 6000 से ज्यादा आवेदनों पर कार्यवाही रुक गई थी। जमीन का सीमांकन, नामांतरण, नई कलेक्टर गाइडलाइन बनाने के साथ ही, धान खरीदी के लिए रकबे का काम, जमीनों की रजिस्ट्री समेत कई तरह के काम रुक गए हैं।
जो पटवारी अपने दफ्तर में मिलते भी हैं तो वे हड़ताल खत्म होने के बाद आना कहकर लोगों को लौटा देते हैं। अब सभी अपने हल्कों में लोगों से मिलेंगे। राजस्व पटवारी संघ के संतोष त्रिपाठी, शिव साहू और नीरज सिंग ने बताया कि सभी मांगों पर ठोस आश्वासन के बाद ही हड़ताल स्थगित की गई है।
तय समय में मांगों पर कार्यवाही नहीं हुई तो आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इन प्रमुख मांगों पर मिलेगी राहत
राजस्व पटवारी संघ का कहना है कि पटवारियों के पास, कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर नहीं है। राजस्व विभाग अपने कामों को डिजिटल करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में काम करने में परेशानी हो रही है। प्रदेशभर के पटवारी चाहते हैं कि वरिष्ठता के आधार पर पटवारियों को राजस्व निरीक्षक के पद पर पदोन्नत किया जाए, विभागीय जांच के बिना किसी भी पटवारी पर एफआईआर न हो, महंगाई और स्टेश्नरी के लिए 2000 रुपए हर महीना भत्ता दिया जाए, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सल भत्ता दिया जाए, मुख्यालय निवास की बाध्यता खत्म हो, अतिरिक्त हलके के प्रभार के लिए मूल वेतन का 50 प्रतिशत राशि भत्ते के तौर पर देने के साथ ही वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए।
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