शहर के लोगों की लाइफलाइन बन चुकी सिटी बस करीब सालभर बाद बुधवार को शहर से दो रूटों के लिए रवाना हुई। लेकिन इसमें से एक बस का हॉर्न बीच रास्ते में ही बिगड़ गया है जिसके चलते बस अपने तय किए मुकाम तक नहीं पहुंच पाई और बीच रास्ते ही बस को वापस लाना पड़ा। जबकि धनपूंजी जाने वाली बस में केवल तीन यात्री ही मिले।
जानकारी के मुताबिक नगर निगम ने लोगों की मांग को पूरा करते हुए आनन-फानन में दो बसों का मेंटनेंस करते हुए बस को बुधवार को शहर से धनपूंजी और नानगुर के लिए रवाना करवाया। जिसमें से नानगुर की बस का हॉर्न बीच रास्ते ही खराब हो गया। अचानक हॉर्न के खराब होने से बस चालक इस बस को वापस लेकर जगदलपुर आ गया। जिसका मेंटनेंस करवाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर हर दिन शहर से लेकर धनपुंजी का तीन फेरा लगाने वाली बस केवल एक की फेरा लगा पाई। गुरुवार से इस बस के तीन फेरे लगाए जाने की बात कही जा रही है।
गौरतलब कि प्राइवेट बस ऑपरेटर जिस सिटी बस चलाने की जिम्मेदारी दी गई उसे यह बस 30–40 हजार रुपए का मेंटनेंस कराकर दी जा रही है। इसके बाद भी आधे रास्त में बस के हार्न का बिगड़ना निगम द्वारा बसों के कराए जा रहे मेंटनेंस पर सवालिया निशान लगा रहा है। सिटी बस के नोडल अधिकारी एस बी शर्मा ने कहा कि बसों का मेंटनेंस कराकर ही ठेकेदार को दिया गया है। जल्द ही अन्य रूटों पर बसें चलेंगी।
दो बार की निविदा में नहीं िमला एक भी ठेकेदार तो तीसरी बार एक ने ही भरा था टेंडर
बस्तर यातायात सोसाइटी और नगर निगम द्वारा संचालित सिटी बस की सेवा का संचालन अब तक सही मायने में ठीक ढंग से नहीं हो पाया है। वर्ष 2021 में यह सेवा सुचारू रूप से चले इसके लिए निगम ने इसका तीन बार टेंडर निकाला। लेकिन बसों की हालत खराब होने और उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं होने के चलते दो बार की निविदा में एक भी ठेकेदार शामिल नहीं हुआ है। सिटी बस सेवा के नोडल अधिकारी ने बताया कि इसके बाद भी निगम ने सिटी को बस चलाने के लिए कुछ दिनों पहले तीसरी बार निविदा जारी की जिसमें जगदलपुर के गुप्ता ट्रैवल्स ने निविदा भरी।अन्य किसी निविदा के इसमें शामिल नहीं होने के चलते उन्हें ही सिटी बस के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। 10 में से अभी केवल 2 बसें दी गई। तीन बसें 14 जनवरी के पहले दे दी जाएंगी।
6 साल पहले शुरू हुई थी सेवा, 10 में से 5 बसें कबाड़
6 साल पहले नगर निगम ने बस्तर यातायात सोसाइटी बनाकर इस सेवा की शुरुआत की थी। 10 बसें संभागीय मुख्यालय से जिले के हर ब्लॉक तक जा रही थी। प्रारंभिक दौर में यह सेवा अच्छे से चली। कलेक्टर से लेकर जिला पंचायत सीईओ ने कई बार इन बसों में सवारी कर लोगों से इस सुविधा को लेकर बातें की थी लेकिन विभागीय लापरवाही, नई कंपनी की बसों के होने और इस कंपनी का यहां सर्विस सेंटर नहीं होने से बसें खस्ताहाल होती गईं। आज 10 बसों में से करीब 5 बसें कंडम होकर खड़ी हैं। नगर निगम आयुक्त प्रेम कुमार पटेल ने कहा कि 10 बसों के मेंटनेंस के लिए योजना बनाई गई है। लेकिन 5 बसों की हालत खराब होने के चलते इनका मेंटनेंस होगा इसको लेकर अब तक असमंजस बना हुआ है।
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