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Monday, January 4, 2021

कई वर्षों के बाद सरकारी स्कूलों के 8वीं तक के सभी छात्रों को मिलेगी नई किताबें, छपाई पर करीब 112 करोड़ रुपए खर्च होंगे

कई वर्षों के बाद इस बार सरकारी स्कूलों के आठवीं तक के सभी बच्चों को नई किताबें मिलेंगी। अभी तक मात्र 70 प्रतिशत छात्रों को ही नई किताबें दी जाती थीं। 30 फीसदी बच्चे पुरानी किताबों से ही पढ़ते थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप के बाद पुरानी किताबों से पढ़ने का क्रम इस बार भंग होगा। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की कोशिश है कि नए सत्र में स्कूलों के खुलने के साथ ही बच्चों को नई पुस्तकें दी जा सके। कुल 35.98 लाख बच्चों के लिए इस बार किताबें छापी जाएंगी। किस प्रिंटिंग प्रेस को यह काम मिलेगा, इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है। पर, एक-दो दिनों में निर्णय ले लिए जाने की उम्मीद है।

जानकारी के अनुसार, इस बार किताबों की छपाई पर करीब 112 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रकाशक को मार्च के अंत तक स्कूलों में पुस्तकें पहुंचा देनी होंगी, जिससे अप्रैल से छात्रों के बीच किताबों का बंटना शुरू हो जाए। किताबों की छपाई के लिए प्रिंटर्स को अगले एक-दो दिनों में निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। इसका प्रस्ताव शिक्षा सचिव के पास भेज दिया गया है। मंजूरी मिलते ही किताबों की छपाई शुरू हो जाएगी। पब्लिशर्स को मार्च के अंत तक कक्षावार किताबें छाप कर और सेट तैयार कर प्रखंड स्तर तक पहुंचना होगा। इसके बाद इन्हें स्कूलों में भेजा जाएगा।

गौरतलब है कि इस वर्ष कोरोना काल के कारण बच्चों को किताबें मिलने में काफी विलंब हुआ है। विभिन्न गोदामों में किताबें डंप पड़ी थीं, क्योंकि उन्हें बांटने की अनुमति नहीं मिली थी। कोरोना के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद थे। जब वाहनों के परिचालन की अनुमति मिली, तब स्कूलों तक किताबें पहुंची, जिन्हें शिक्षकों के माध्यम से बच्चों के घर भेजा गया।

मुख्यमंत्री ने दिया था निर्देश, सभी बच्चों के लिए छपे पुस्तकें

पिछले महीने शिक्षा विभाग की हुई समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विभागीय सचिव राहुल शर्मा को निर्देश दिया था कि इस वर्ष से सभी बच्चों के लिए पुस्तकें छपनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह गलत ट्रेंड है कि ज्यादातर बच्चों को नई, जबकि कुछ बच्चों को पुरानी पुस्तकें दी जाएं। इससे भेदभाव प्रदर्शित होता है। सभी बच्चों का अधिकार है कि वह नई किताबों से पढ़ें। पुरानी किताब वाले बच्चे के मन में गलत विचार आ सकते हैं। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस साल नए शैक्षणिक सत्र से सभी छात्र छात्राओं को नई किताबें देने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम में भी सभी बच्चों के लिए नई किताबों का प्रावधान किया गया है।

अच्छे नंबर लाने वाले बच्चों को मिलती थी नई पुस्तकें

नई किताबें उन बच्चों को दी जाती थीं जो अच्छी स्थिति में अपनी किताबें वापस करते थे या फिर स्कूल में जिनकी रैंक अच्छी होती थी। पहले सत्र समाप्त होने के बाद बच्चों से किताबें ले ली जाती थीं। स्कूलों में बुक बैंक बनाया जाता था। इन बुक बैंक से ही अच्छी स्थिति वाली किताबें छात्रों के बीच बांटी जाती थीं।



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फाइल फोटो


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