प्रदेश में अब सभी जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी। राजनांदगांव, कोंडागांव सहित कई जिलों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकायतों के बाद सरकार ने 3.60 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। इसमें हर जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए अलग विंग बनाकर उनके लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसी तरह महिलाओं की समस्याओं को सुनने के लिए अलग हेल्प डेस्क होगा। इसके लिए भी पूरा सेटअप तैयार किया जाएगा।
कुछ महीने पहले ही राजनांदगांव में मानव तस्करी के बड़े रैकेट का खुलासा हुआ था। इसमें राजधानी रायपुर की एक महिला को भी पकड़ा गया था। इस रैकेट के तार देश के बड़े शहरों के अलावा विदेशों में भी जुड़े होने की बात सामने आई थी। कुछ दिन पहले ही कोंडागांव की दो लड़कियों को मध्यप्रदेश के गुना से बरामद किया गया है। इन दोनों को वहां बेच दिया गया था। जशपुर की लड़कियों को मुंबई, दिल्ली और उत्तर भारत में नौकरी दिलाने के बहाने बेचने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसी घटनाओं की रोकथाम और शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई के उद्देश्य से सभी जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट तैयार करने का फैसला लिया गया है। बता दें कि प्रदेश में रायगढ़, जशपुर, सरगुजा, कोरबा जैसे इलाकों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के ज्यादातर मामले आते हैं। इसके अलावा कुछ और घटनाओं को ध्यान में रखकर आठ जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट काम कर रहे हैं। इनमें बिलासपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार और जांजगीर-चांपा शामिल हैं।
महिलाएं बिना संकोच के बता सकेंगी अपनी समस्याएं, महिला स्टाफ की रहेगी ड्यूटी
सभी थानों में वुमन हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे। इसमें महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी रहेगी। इसके लिए तीन करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इस राशि से हर थाने के एक हिस्से को इस ढंग से तैयार किया जाएगा, जहां महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पीड़ित महिलाएं बिना संकोच के अपने साथ घटी घटना के बारे में बता सकेंगे। फिलहाल अलग व्यवस्था नहीं होने के कारण महिलाओं को बाकी फरियादियों की तरह पूरे स्टाफ की मौजूदगी में अपने साथ घटी घटना के बारे में बताना होता था। संकोच के कारण वे खुलकर नहीं बोल पाती थीं। इस वजह से एफआईआर में पूरी तरह उल्लेख नहीं होता था और अपराधियों को फायदा मिलता था।
सबसे ज्यादा तस्करी के 11 मामले दुर्ग में दर्ज किए गए
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2016 से 2018 के बीच मानव तस्करी के 167 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें 2017 में सबसे ज्यादा 11 मामले दुर्ग में दर्ज किए गए। हालांकि इससे पहले कभी यहां मानव तस्करी की शिकायतें नहीं थीं। पुलिस महकमे की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में महिलाओं की गुमशुदगी के 6649, 2018 में 7383 और 2019 में 9412 मामले दर्ज किए गए। हालांकि इनमें बड़ी संख्या उनकी है, जो नाराजगी की वजह से या प्रेम विवाह के लिए घर छोड़कर चली जाती हैं। इन आंकड़ों को काफी गंभीर माना जाता है, क्योंकि तस्करी के मामले भी हो सकते हैं।
"निर्भया फंड के अंतर्गत सभी जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना के लिए बजट स्वीकृत किया गया है। इसमें यूनिट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर व अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। इसी तरह महिलाओं के लिए थानों में वुमन हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे, जहां महिला स्टाफ की ड्यूटी रहेगी।"
-मनीष शर्मा, एआईजी प्लानिंग पीएचक्यू
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