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Sunday, May 24, 2020

श्रमदान कर ग्रामीणाें ने की 100 वर्ष पुराने कुएं की साफ-सफाई, लॉकडाउन को बनाया यादगार

अाज पूरा विश्व जल संरक्षण को लेकर गंभीर है। पेयजल के स्रोत लगातार कम होतेे जा रहेे हैं। वहीं भूमि का जलस्तर लगातार तेजी से गिरता जा रहा है। सरकार जलस्रोत को बनाए रखने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपए विभिन्न परियोजनाओंपर खर्च कर रही है। वहीं पुराने जलस्रोत पर किसी का ध्यान नहीं जाता हैै। अगर पुराने जलस्रोत को दुरुस्त कर दिया जाए तो बहुत हद तक ग्रामीण व शहरी इलाके में पेयजल संकट का निदान हो सकता है।

लाॅकडाउन के दौरान ग्रामीणों ने इस पुराने जलस्रोत को दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया। गालूडीह थाना क्षेत्र के जोड़़िसा पंचायत के बड़बिल गांव केे ग्रामीण लाॅकडाउन में दो माह सेे बेेकार बैठ हुए हैं। इस दौरान ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया कि गांव के पुराने कुएं की सफाई कर क्यों न लाॅकडाउन को यादगार बनाया जाए। ग्रामीणों ने करीब 100 साल पुराने पूर्वजों की धरोहर को पुनर्जीवित कर कुदरत के उपहार को जीवित कर दिया।

रविवार को जाेड़िसा पंचायत के बड़बिल गांव में पुराने सरकारी कुआं की लाेगाें ने श्रमदान कर साफ-सफाई की। दिनभर चले इस अभियान में कुएं को साफ कर दिया। इस दाैरान साेशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से ख्याल रखा गया। साफ-सफाई करने वालाें के लिए ग्रामीणाें ने अापस में चंदा इक्कठा कर भाेजन की भी व्यवस्था की थी।

पहले इसी कुएं के पानी का करते थे उपयोग : ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि जब आसपास कहीं पेयजल का स्रोत नहीं था तो इस पुराने कुएं से दूर-दराज के लाेग पानी लेने आते थे। आसपास के कई लाेगाें के लिए यही कुआं पेयजल का एक मात्र सहारा था। आज लगभग घर-घर बाेरिंग अथवा चापानल की व्यवस्था हाे गई है। जिससे उक्त कुएं की उपयाेगिता घट गई। ग्रामीणाें ने बताया कि इस कुएं का पानी काफी अच्छा था। उपयाेग में नहीं लाए जाने के कारण गंदगी भर गई थी। पेयजल संकट काे देखते हुए लाॅकडाउन‌ के दाैरान ग्रामीणाें ने कुएं की सफाई कर पुन: उपयाेग में लाने का निर्णय लिया।



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Villagers made cleanliness of 100-year-old well by making shramdaan, made lockdown memorable


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