जिला मुख्यालय के मां रमदईया धाम समेत जिलेभर के मंदिर में नागपंचमी महोत्सव पर भजन-कीर्तन और विशेष पूजा का आयोजन किया गया। इस दौरान जहां श्रद्धालुओं ने नाग देवता की पूजा की, वहीं भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया गया। सुबह 7 बजे से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया था।
झुमका डैम में पानी ओवर फ्लो होने के कारण मां रमदईया धाम में मंदिर परिसर के आधे भाग में पानी का बहाव होने लगा है। महाकाली मंदिर परिसर जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते थे, इस स्थल पर पानी तेजी से बह रहा है। इससे श्रद्धालु मंदिर के बाहर से ही महाकाली के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर में हर साल नागपंचमी पर यहां बड़ा आयोजन किया जाता रहा है। वर्षों बाद कोरोना काल में ऐसी स्थिति बनी जब मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई, फिर भी सुबह से ही यहां काफी श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा।
मंदिर परिसर में चल रहे भजन-कीर्तन की धुन से तीन महीने बाद मंदिर के आसपास भक्तिमय माहौल बना रहा। रमदईया धाम में पीपल पेड़ के नीचे श्रद्धालुओं ने नाग देवता के लिए दूध अर्पित किए और भगवान शिव का आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि यहां अक्सर नाग इस दिन दर्शन देते हैं।
10 साल में पहली बार मंदिर का हिस्सा आधा डूबा
रमदईया मंदिर के पदाधिकारी सुनील सिंह ने बताया कि मंदिर में ऐसा बीते 10 साल से पहली बार देखने को मिला कि मंदिर परिसर का आधा हिस्सा पानी में डूब गया। वहीं दूसरी ओर हर शनिवार को यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इन दिनों श्रद्धालुओं का आना-जाना कम हो रहा है। नागपंचमी के अवसर पर यहां विशेष अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस साल कोरोना संक्रमण के चलते नागपंचमी महोत्सव के अवसर पर कीर्तन-भजन के साथ ही इसे संपन्न करना पड़ा।
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