शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर तक मनाए जाएंगे, जिसकी तैयारी मंदिरों में प्रारंभ हो गई है। देवी आराधना का पर्व विशेष संयोगों के साथ आएगा। बुद्धादित्य और सर्वार्थसिद्धि जैसे खास योग इस बार शक्ति साधना को और महत्वपूर्ण बनाएंगे। पं.हरिशंकर मिश्रा ने बताया कि नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है। नवमी तिथि की समाप्ति 25 अक्टूबर को सुबह 7.42 पर हो जाएगी। इसके बाद दशमी लग जाएगी। इसीलिए नवमी, विजया दशमी, अपराजिता पूजन इसी दिन किया जाएगा। नवरात्रि को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसमें बुद्धादित्य योग, तीन रवि योग, एक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे। इससे नवरात्रि में देवी आराधना करने वालों को सिद्धियां प्राप्त करने का विशेष अवसर मिलेगा। इस बार नवरात्रि में ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि इनमें की गई पूजा, अनुष्ठान, सिद्धि सफल होगी। तुला लग्न में सूर्य बुध विराजित हैं। सूर्य लाभेश होकर तुला लग्न में बुध के साथ विराजित हैं। इस स्थिति में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, साधना की जाती है तो निश्चित ही सफलता, सुख समृद्धि मिलने की मान्यता है। मकर राशि में शनि देव, सिंह राशि में शुक्र, वृश्चिक राशि में केतु, धनु राशि में गुरु, वृषभ राशि में राहु और मीन राशि में मंगल विराजित हैं।
घट स्थापना तुला राशि व चित्रा नक्षत्र में
घट स्थापना 17 अक्टूबर शनिवार को तुला राशि का चंद्रमा, चित्रा नक्षत्र, विष्कुंभ योग, करण किंस्तुन रहेगा। एक साल में चार नवरात्र आती है। उसमें से दो गुप्त और दो उजागर नवरात्र होती है। अश्विन मास की नवरात्रि सबसे खास नवरात्र मानी जाती है।
17 अक्टूबर को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
- सुबह 7.51 से 9.18 तक।
- दोपहर 1.40 से 4.04 तक।
- शाम 5.57 से 7.30 तक।
- रात में 9.04 से 12.10 तक।
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