जिले में पिछले कुछ सालों से बेटियों की तुलना में बेटे ज्यादा पैदा हो रहे हैं। वहीं अक्षर ज्ञान के मामले में महिलाएं अब भी पुरुषों से पीछे हैं। करीब दो दशक पहले ज्ञानगुड़ी केंद्र और 8 साल पहले शुरू किए गए साक्षर भारत अभियान भी कारगर साबित नहीं हो पाया है। सांख्यिकी विभाग के मुताबिक बस्तर जिले में महज 43.49 फीसदी महिलाएं ही साक्षर हो सकी हैं, जबकि पुरुषों का प्रतिशत 63.02 है।
साक्षर भारत अभियान के जरिए लोगों को कम से कम अक्षर ज्ञान कराने की कोशिश की गई, लेकिन अब भी 47 फीसदी लोग पढ़-लिख नहीं सकते हैं। बताया जाता है कि जिन महिलाओं को साक्षर किया गया, उनमें अधिकतर जिला और ब्लॉक मुख्यालय के आसपास के गांवों की हैं। अंदरूनी इलाकों में महिलाओं की साक्षरता का प्रतिशत अब भी काफी कम है।

14 हजार को भी अक्षर ज्ञान नहीं करा सका
बस्तर जिले में साक्षर भारत अभियान की शुरुआत साल 2012 में की गई। उस समय केंद्र सरकार से जिले को 1 लाख 73 हजार लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य मिला, लेकिन आठ साल बाद भी यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। अभियान के दौरान 14 हजार लोगों को अक्षर ज्ञान कराया ही नहीं जा सका। हर पंचायत में बनाए जाने वाले लोक शिक्षण केंद्र में 2 प्रेरक नियुक्त किए गए। ग्रामीणों में पढ़ाई को लेकर रुचि नहीं होने से उन्हें साक्षर नहीं बनाया जा सका और अब तो अभियान ही बंद हो चुका है। ऐसे में उन्हें कैसे पढ़ाया जाए।
मार्च 2018 में केंद्र ने बंद किया साक्षर अभियान
मार्च 2018 में केंद्र सरकार ने साक्षर भारत अभियान ही बंद कर दिया, जिसके कारण पूरी तरह से लोक शिक्षण संस्थाओं में ताला लग चुका है। इधर अब इस अभियान की जिम्मेदारी लेने वाला कोई भी नहीं है और न ही कोई सामने आ रहा है। दूसरी तरह अपनी बहाली की मांग को लेकर प्रेरक बीते डेढ़ साल से भी ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं पड़ रहा है।
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