लॉकडाउन के दौरान दुकानों के साथ वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद था। अनलॉक के बावजूद शहर के ऑटो, टैक्सी तथा रिक्शा चालकों को सवारियां नहीं मिल पाने से वे पूरा पूरा दिन खाली बैठे रहते हैं। बैंक से लोन लेकर ऑटो तथा टैक्सी खरीदने वाले परिवार का पेट नहीं पाल पा रहे हैं । वे बैंक लोन की किश्त तक नहीं पटा पा रहे हैं। कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है।
पूरे देश के साथ जिले में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा था। जुलाई के महीने से देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद व्यापार तो शुरू हो गया लेकिन आने जाने से लोग परहेज कर रहे हैं जिसके चलते ऑटो, टैक्सी, बस के साथ रिक्शा चालकों को सवारियां नहीं मिल पा रही है। कांकेर शहर में 40 ऑटो चलते हैं जिनका काम सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। ऑटो चालक पूरी तरह बसों से आने वाली सवारियों पर ही निर्भर थे इसके अलावा बहुत से ऑटो चालक बच्चों तथा शिक्षकों को नियमित स्कूल भी छोड़ते थे। यात्री बसें तथा स्कूलें बंद होने से उन्हें सवारियां नहीं मिल पा रही है। कई बार तो ऑटो चालक पूरे दिन बैठे रहते हैं उनकी बोहनी तक नहीं हो पाती।
लॉकडाउन के बाद एक भी किस्त नहीं दे सका
ऑटो चालक प्रकाश नाग ने कहा हर माह लोन का साढ़े 6 हजार रूपया किश्त पटाना है लेकिन लॉकडाउन के बाद से अब तक एक महीने की भी किश्त नहीं पटा पाए हैं। चालक अब्दुल करीम ने कहा आज सिर्फ 50 रूपया ही मिल पाए हैं। ऑटो चालकों के अलावा शहर के रिक्शा चालकों की भी यही स्थिति है। रिक्शा चालक उदय सारथी ने कहा पहले एक दिन में 250 से 300 रूपए तक आमदनी हो जाती थी लेकिन अब मुश्किल से दिन भी खड़े रहने के बाद 50 से 100 रूपए कमा पाते हैं। कांकेर में सिर्फ आमाबेड़ा में ही साप्ताहिक बाजार के दिन बुधवार तथा रविवार को टैक्सी चलती है। चारामा, धमतरी, दुधावा, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर में टैक्सी का आवागमन पूरी तरह से बंद है। शहर में 200 टैक्सी चलती है। इससे चालक, परिचालक के साथ अन्य स्टाफ खाली बैठा है। टैक्सी यूनियन संघ के पूर्व अध्यक्ष सालिक राम साहू ने कहा दुकान तो खुल गए हैं लेकिन टैक्सी चलना अभी तक बंद है। लॉकडाउन के बाद से ही चालक, परिचालक के साथ टैक्सी संचालक पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
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